आजादी के अमृत महोत्सव पर छत्तीसगढ़ के गांवों में स्थित गोठानों में कार्यरत महिलाएं दस लाख तिरंगा झंडा बनाएंगी। इनमें से डेढ़ लाख तिरंगा खादी का होगा। राज्य मेें बुनकर संघों के पास जितनी खादी थी सब झंडे के काम आ रही है। खादी कम पड़ गई जबकि महिला समूहोंं के पास आर्डर अधिक आ गया, इसलिए लगभग साढ़े आठ लाख झंडे काटन के बनाए जाएंगे। महिला समूहों के झंडे का दाम 40 रुपये से दो हजार रुपये तक है।
आजादी का अमृत महोत्सव छत्तीसगढ़ में महिलाओं के आर्थिक स्वावलंबन का अवसर तो लेकर आया ही है, इससे गांव गांव में राष्ट्रीय भावना का प्रसार भी हो रहा है। राज्य की कांग्रेसनीत सरकार ने यहां खादी के तिरंगे को राष्ट्रीय आंदोलन के स्वाभिमान से जोड़ दिया है। राज्य सरकार ने गांवों में पांच हजार से ज्यादा गोठान बनाए हैं। इन गोठानों में पशुधन का विकास, गोबर व गोमूत्र की खरीदी, वर्मी कम्पोस्ट का निर्माण व विपणन आदि काम तो हो ही रहे हैं, ग्रामीण महिलाओं को हस्त शिल्प समेत विविध कलाओं के लिए बाजार भी मिल रहा है। इन्हीं में से कुछ गोठानों से जुड़ी लगभग डेढ़ लाख महिलाएं झंडा बनाने में जुटी हैं।
खादी ग्रामोद्योग बोर्ड ने महिला समूहों को खादी का कपड़ा उपलब्ध कराया है। काटन के झंडों के लिए जिला प्रशासन की मदद से रियायती दर पर कपड़ा उपलब्ध कराया गया है। सरकार ने सरकारी व निजी कार्यालयों व सभी घरों में झंडा फहराने का लक्ष्य तय किया है। महिला समूहों द्वारा तैयार किए जा रहे खादी के झंडे तो पहले ही बिक चुके हैं। काटन के झंडे जल्द ही आम जनता के लिए बाजार में भी उपलब्ध होंगे। ज्ञात हो कि केंद्र सरकार ने सितंबर 2021 में फ्लैग कोड में बदलाव किया है। अब खादी के अतिरिक्त काटन व अन्य कपड़ों के झंडे भी बनाए जा सकते हैं। हालांकि राज्य सरकार खादी के झंडे को राष्ट्रीय स्वाभिमान से जोड़ रही है।
निर्धारित माप के झंडे
झंडों की माप निर्धारित है। राजधानी से लगे सेरीखेड़ी में उजाला ग्राम संगठन से जुड़ी सौ महिलाएं दिनरात झंडों की सिलाई कर रही हैं। महिलाएं 20 इंच ऊचाई और 30 इंच चौड़ाई के झंडे सिल रही हैं। आठ अगस्त तक इस समूह को एक लाख झंडों का आर्डर पूरा करना है। महिलाएं कह रही हैं कि इस बार देशभक्ति का ऐसा माहौल है कि आर्डर बढ़ते ही जा रहे हैं।