रायपुर …
वन (संरक्षण) नियम 2022 को आदिवासी हितों के विरुद्ध बताते हुए राज्य सरकार इसे वापस लेने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजेगी। इस संबंध में विधानसभा में वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री मोहम्मद अकबर ने शासकीय संकल्प प्रस्तुत किया। इसे चर्चा के बाद सदन ने पारित कर दिया।
इस संकल्प को प्रस्तुत करते हुए मंत्री अकबर ने बताया कि केंद्र सरकार ने इसी वर्ष 28 जून को इस कानून को अधिसूचित किया है। इसमें वन अधिकार कानूनों की अनदेखी की गई है। इससे आदिवासी और वन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को नुकसान होगा। उनकी भूमि बिना सहमति के ही अधिग्रहीत कर ली जाएगी। प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा के सदस्यों ने राज्य सरकार के इस संकल्प का विरोध किया।
बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि यह विरोध राज्य के हित में नहीं है। इससे वनवासी क्षेत्रों के विकास पर असर पड़ेगा। उन्होंने प्रश्न किया कि कानून में कहां लिखा है कि वन अधिकार पट्टा के तहत दी गई जमीन ली जाएगी। उन्होंने कहा कि कानून बनाने से पहले केंद्र सरकार ने राज्यों से भी सहमति ली है।
सौरभ सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार ने इसे लागू करने से पहले दावा-आपत्ति आमंत्रित किया था, तब राज्य सरकार ने कुछ क्यों नहीं बोला। इस पर मंत्री मोहम्मद अकबर ने इस कानून के लिए राज्य सरकार से सहमति लिए जाने से इन्कार किया। उन्होंने बताया कि अभी जमीन अधिग्रहण करने से पहले ग्रामसभा की अनुमति ली जाती है, लेकिन नए नियमों में पहले पर्यावरण की स्वीकृति ली जाएगी तब ग्रामसभा होगी।