खेती-किसानी में योगदान देने वाले बैलों का सम्मान करने के लिए पोला पर्व 27 अगस्त को श्रद्धा-उल्लास से मनाया जाएगा। एक ओर जहां किसान बैलों की पूजा करके ठेठरी, खुरमी, चौसेला, खीर, पुड़ी, बरा, मुरकू, भजिया, मूठिया, गुजिया, तसमई आदि व्यंजनों का भोग लगाएंगे, वहीं दूसरी ओर रावणभाठा मैदान में बैलों की दौड़ प्रतियोगिता और श्रृंगार प्रतियोगिता में बैलों को सजा-धजाकर लाएंगे।
इसके अलावा घर-घर में बच्चे भी मिट्टी के बैलों को दौड़ाने की रस्म निभाएंगे। बच्चियां भी रसोईघर में भोजन पकाने वाले खेल खेलकर मनोरंजन करेंगी। पर्व की पूर्व संध्या पर बच्चों ने अभिभावकों के साथ मिट्टी के बैलों की खरीदारी की।
शनिवारी अमावस्या का खास महत्व ……
महामाया मंदिर के पुजारी पं.मनोज शुक्ला के अनुसार इस बार शनिवार को अमावस्या तिथि का संयोग बन रहा है। शनि के प्रकोप से बचने के लिए शनि मंदिरों में तेल, तिल का अभिषेक करने की मान्यता है। शनि अमास्या का संयोग होने से भगवान भोलेनाथ के गण नंदीदेव की पूजा के साथ ही शनि मंदिरों में शनिदेव का अभिषेक भी किया जाएगा।
50 से 100 रुपये बैलों की जोड़ी, मिट्टी के बर्तन
पोला पर्व के एक दिन पहले शुक्रवार को बूढ़ेश्वर मंदिर के सामने, आमापारा, गोलबाजार, शास्त्री बाजार, फाफाडीह, गुढ़ियारी, रायपुरा, मोवा, पंडरी आदि मोहल्लों में मिट्टी के बैलों की खूब बिक्री हुई। अभिभावकों के साथ बच्चों ने अपने मनपसंद मिट्टी के बैलों की जोड़ी पसंद की।
बच्चियों ने भी मिट्टी का चूल्हा, आटा चक्की, बेलन एवं रसोईघर के अन्य सामान की खरीदारी की। शनिवार को बच्चे मिट्टी के बैल दौड़ाकर मनोरंजन करेंगे। बाजारों में मिट्टी के बैलों की जोड़ी 50 से 100 रुपये और मिट्टी के बर्तन भी 20 से 100 रुपये तक खरीदे गए।
रावणभाठा में दौड़ प्रतियोगिता का रहेगा आकर्षण
श्री कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव समिति के अध्यक्ष माधवलाल यादव ने बताया कि रावणभाठा मैदान में बैल श्रृंगार प्रतियोगिता के अलावा बैलों की दौड़ प्रतियोगिता आकर्षण का केंद्र रहेगी। कोरोना काल में दो साल से प्रतियोगिता का आयोजन नहीं किया गया था।
इस साल अनेक गांवों के किसानों ने पंजीयन करवाया है। इसके अलावा छत्तीसगढ़ी संस्कृति में रचे बसे खेल गेड़ी दौड़, लंगड़ी, फुगड़ी, गिल्ली डंडा, बिल्लास आदि प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जा रहा है।
तीजा पर्व की तैयारी…..
27 अगस्त को पोला पर्व के दो दिन बाद 30 अगस्त को सुहागिनों का प्रमुख पर्व तीजा भी कोरोना काल के दो साल पश्चात धूमधाम से मनाए जाने की तैयारी की जा रही है। माता-पिता अपनी विवाहित बेटियों को मायके लाने की तैयारी कर रहे हैं। बेटियां अपने मायके में ही तीजा पर्व पर 36 घंटे का निर्जला व्रत रखकर पूजा-पाठ करेंगी। रविवार को बेटियों के मायके आने का सिलसिला प्रारंभ होगा।