साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड की दीपका कोयला खदान की एक ड्रिल मशीन में अचानक आग लग गई। जानकारी के अनुसार आयल लीक के बाद भी काम लेने से आग लगने की आशंका जताई जा रही है। 16 करोड़ के इस 176 नंबर की मशीन का उपयोग खदान में ब्लास्टिंग के लिए ड्रिल करने के लिए किया जा रहा था। आग लगने की जानकारी मिलने पर प्रबंधन ने आग बुझाने का प्रयास किया पर मशीन का काफी हिस्सा जल गया। इसकी वजह से कंपनी को करोड़ों रुपये का नुकसान होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
मशीन का एयर कंप्रेसर लीक था ड्रिल मशीन के आपरेटर ने इसकी जानकारी जवाबदार अधिकारियों को दी थी। इसके बाद भी अधिकारियों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया और रखरखाव टीम ने 2 दिन पहले फिल्टर बदलने के बाद पुन: मशीन को काम में लगा दिया। बताया जा रहा है कि आयल लीक होता रहा और इस दौरान मशीन का उपयोग किए जाने की वजह से मशीन के गर्म हिस्से में आग पहुंचा और आग लग गई।
दमकल की टीम को मशीन में लगी आग पर काबू पानी काफी मशक्कत करनी पड़ी। यह बताना होगा कि इससे पहले भी कोयला खदानों में रखरखाव में लापरवाही बरते जाने की वजह से मशीनों में आग लगने की घटनाएं हो चुकी है। अधिकारियों का कहना है कि इस घटना की विभागीय जांच कराई जाएगी। रजगामार खदान के बंकर का बकेट टूटने से एक कर्मचारी की मौत हो जाने की घटना की जांच चल ही रही है कि इस बीच यह एक और हादसा हो गया है। डीएमएस बिलासपुर की टीम इस मामले की जांच करेगी।
दुर्घटनाओं ने बढ़ाई लक्ष्य हासिल करने की चुनौती
इस वित्तीय वर्ष एसईसीएल को तीन माह में 428 लाख टन कोयले का उत्पादन करना था, पर 357 लाख टन ही उत्पादन किया। तिमाही रिपोर्ट में पिछड़ गई एसईसीएल के सामने लक्ष्य हासिल करने की चुनौती है। ऐसे में लगातार खदान में होने वाली दुर्घटनाओं का भी असर उत्पादन पर पड़ेगा। श्रमिक संगठनों का कहना है कि जितना जो उत्पादन बढ़ाने में दिया जा रहा है उतना ही सुरक्षा उपायों पर भी ध्यान देना होगा। संतुलन बिगड़ने पर इस तरह की स्थिति निर्मित होती है।