विश्व आत्महत्या रोकथाम सप्ताह के अवसर पर सूरजपुर जिला मुख्यालय में डॉ. राजेश पैकरा जिला नोडल अधिकारी (मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम) के मार्गदर्शन में डीएमएचपी टीम द्वारा शासकीय आदर्श बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सूरजपुर में आत्महत्या रोकथाम गोलकीपर ट्रेनिंग पर कार्यशाला का आयोजन किया। इस मौके पर मानव श्रृंखला बना जागरूकता का संदेश दिया गया।
जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम नोडल अधिकारी डॉ. राजेश पैकरा ने बताया कि यदि कोई व्यक्ति लंबे समय से हीन भावना से ग्रस्त है अथवा आत्महत्या करने की सोच रहा है तो वह एक मानसिक बीमारी से ग्रस्त है। मानसिक अस्वस्थता के कारण ऐसी परिस्थिति उत्पन्न हो सकती है, उचित परामर्श और चिकित्सा पद्धति के माध्यम से इसका उपचार किया जा सकता है। साइकोलॉजिस्ट सचिन मातुरकर ने बताया कि आत्महत्या प्रवृत्ति वालों की पहचान आसानी से नहीं कर सकते, लेकिन कुछ असमान्य लक्षण से पीड़ितों की मनोस्थिति के बारे में जाना जा सकता है।
इसमें जैसे उन्हें ठीक से नींद नहीं आती, उनका आत्मविश्वास कम हो जाता है, वे अपने मनोभावों को व्यक्त करने में भ्रमित रहते हैं, उनकी खानपान की आदतों में अचानक बड़ा बदलाव देखने को मिलता है, या तो वे बहुत कम खाते हैं या बहुत ज़्यादा। आमतौर वे अपने फ़िज़िकल अपियरेंस को लेकर उदासीन हो जाते हैं, उन्हें फ़र्क़ नहीं पड़ता कि वे कैसे दिख रहे हैं, धीरे-धीरे वे लोगों से कटने लगते हैं। कई बार वह खुद को नुक़सान भी पहुंचाते हैं। इस स्थिति में परिवार का योगदान महत्वपूर्ण हो जाता है, वे वस्तुस्थिति को समझकर उनका ख्याल रखें एवं जरूरत पड़ने पर उनका उपचार कराएं