शामिल हुए दंतेवाड़ा से 147 गाँवों के 400 युवा
भिलाई @सुबोध तिवारी
आईआईटी भिलाई द्वारा दंतेवाड़ा के 147 गावो के क़रीब 400 युवा और युवतियों को ट्रेनिंग बापी ना उवत (दादीमाँ के नुस्खें) आईआईटी भिलाई और जिला प्रशासन की एक पहल है जिसका उद्देश्य जिले में कुपोषण की दर को कम करना और ग्रामीण महिलाओं में स्वास्थ्य और बाल देखभाल के बारे में जागरूकता लाना है। इसके तहत, गांव की बुजुर्ग महिलाओं ने यह जिम्मेदारी ली है कि वे ग्रामीण महिलाओं से मिलकर उन्हें बच्चे और मां की देखभाल से संबंधित विभिन्न विषयों पर उपयोगी टिप्स देंगी। इन बुजुर्ग महिलाओं को बापी (दादी माँ) कहा जाता है क्योंकि ये उसी ग्रामीण क्षेत्रों में से हैं, ग्रामीण महिलाएं पुरे विश्वास के साथ इन नुस्खों का पालन कर सकती हैं और अपनी और अपने बच्चों की अच्छी देखभाल कर सकती हैं। बापी के साथ-साथ युवा अब ‘सतरंगी नाक’ और ‘सतरंगी नायिका’ के रूप में सामुदायिक जागरूकता कार्यक्रमों में भाग ले रहे हैं।
वनाँचल युवाओं के कौशल कुशल पर केंद्रित कार्यशाला,,,,
इस इंटरैक्टिव गतिविधि-आधारित कार्यशाला का उद्देश्य बापी ना उवत स्वयंसेवकों (‘सतरंगी नाक’ और ‘सतरंगी नायिका’) को इस क्षेत्र में उनके प्रयासों के कार्यान्वयन के लिए आवश्यक ज्ञान, जागरूकता, कौशल और प्रेरणा से लैस करना है। यह व्यक्तिगत, परिवार और सामुदायिक स्तरों के कौशल पर केंद्रित है। प्रतिभागियों को सामुदायिक गतिशीलता, स्वयंसेवावाद, संचार और व्यवहार संकेतकों में अंतर्दृष्टि प्राप्त होगी।
कार्यशाला का उद्देश्य,,
सामुदायिक विकास का समर्थन करने, प्रभावी ढंग से संलग्न होने और रणनीतिक संचार का उपयोग करने की उनकी क्षमता को बढ़ाना है। इसके अतिरिक्त, यह स्वयंसेवकों को अपनी मातृभूमि – ग्रीन जॉब परिप्रेक्ष्य में रहते हुए उनके भविष्य के लिए प्रासंगिक कैरियर के अवसरों की पहचान करने में सहायता करेगा।कार्यशाला पर इन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया है -*व्यक्तिगत विकास * सामुदायिक गतिशीलता को समझना * वर्तमान आईटी आधारित वातावरण में विकास में युवाओं की भूमिका * मातृ स्वास्थ्य और पोषण * बाल स्वास्थ्य और प्रतिरक्षण* स्वच्छता को बढ़ाना * स्किलिंग (डिजिटल साक्षरता: सोशल मीडिया, मेडिटेक और फिनटेक) प्रतिपालन के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करना इसके अलावा, स्वयंसेवकों के लिए कैंपस विजिट कार्यक्रम की भी योजना बनाई गई है।