गंगरेल बांध 86 प्रतिशत भर चुका है। खतरे के निशान से अब सिर्फ सवा मीटर नीचे है। जबकि बांध में पानी की आवक बनी हुई है। महानदी किनारे रहने वाले ग्रामीणों को जिला प्रशासन ने मुनादी कर अलर्ट कर दिया है।
कभी भी बांध से पानी छोड़ा जा सकता है, ऐसे में सबसे ज्यादा खतरा अब रेत माफिया पर मंडराने लगा है, जो महानदी की धार में कभी भी बढ़ सकती है, इसे लेकर प्रशासन व खनिज विभाग गंभीर नहीं है।
महानदी किनारे बसे ग्राम अछोटा, कोलियारी, अमेठी, खरेंगा, कलारतराई, परसुली, सेलद्वीप, देवपुर, तेंदूकोन्हा आदि गांवों में प्रशासन ने मुनादी करा दी है कि गंगरेल बांध से रूद्री बैराज से होते हुए महानदी में कभी भी पानी छोड़ा जा सकता है, ऐसे में ग्रामीण सक्रिय रहे। पानी तेजी से गांवों में भी प्रवेश कर सकता है, इस स्थिति से निबटने ग्रामीण रात में महानदी किनारे की ओर न जाए। ताकि पानी छोड़ने पर कोई अनहोनी न हो।
इसे लेकर ग्रामीण गंभीर है, लेकिन रुपये कमाने के लालच में रेत माफिया शाम ढलते ही महानदी के भीतर जेसीबी से रेत का अवैध उत्खनन बेखौफ होकर कर रहे हैं। कई हाइवा व लोग वहां प्रवेश कर रेत की चोरी कर रहे हैं। महानदी में रात को बड़ी संख्या में हाईवा व चालक वहां रहते हैं, जिन पर सबसे ज्यादा खतरा महानदी के पानी में बहने की बनी हुई है। क्योंकि इन लोगों को बांध के संबंध में जानकारी नहीं है, सिर्फ रेत निकालना व रुपये कमाना उद्देश्य हो गया है।