मुख्यमंत्री पद के दावेदार रहे छत्तीसगढ़ के कैबिनेट मंत्री टीएस सिंहदेव के पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग से त्यागपत्र देने के बाद सीएम भूपेश बघेल की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है। सीएम बघेल ने मीडिया से बातचीत में कहा, मुझे टीएस सिंहदेव का इस्तीफा पत्र नहीं मिला है, जब मैं इसे प्राप्त करूंगा, तो इस पर आपस में बैठकर चर्चा करेंगे। उन्हाेंने कहा, इसकी जानकारी मुझे मीडिया से मिली। आपस में पूरा तालमेल है और जो भी मुद्दा है, उस पर एक साथ बैठकर चर्चा करेंगे। मुख्यमंत्री भूपेश जैन समाज के चातुर्मास कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे थे।
मीडिया के सवाल पर सीएम भूपेश ने कहा, सिंहदेव के इस्तीफे पर चर्चा करूंगा। कल उन्हें फोन लगाया था, लेकिन बात नहीं हो पाई। वहीं सीएम और छत्तीसगढ़ सरकार के सभी मंत्रियों के बीच तालमेल को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के आरोपों पर भूपेश बघेल ने कहा, आपस में पूरा तालमेल है और इस पर एक साथ बैठकर चर्चा करेंगे।
छत्तीसगढ़ के कैबिनेट मंत्री टीएस सिंहदेव के त्याग पत्र के बाद प्रदेश की राजनीति में फिर एक बार मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर ढाई-ढाई वर्ष के फार्मूला की चर्चा जोर पकड़ने लगी है। राज्य में 15 वर्ष तक विपक्ष में रहने के बाद कांग्रेस के सत्ता में आने और सरकार गठन तक मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और सिंहदेव की जोड़ी की तुलना जय और वीरू की जोड़ी से की जाती थी। मगर करीब दो वर्षों में दोनों के बीच का पूरा राजनीतिक समीकरण बदल चुका है।
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के चुनाव जीतने के बाद तय हुआ था कि भूपेश बघेल और टीआर सिंहदेव ढाई-ढाई वर्ष मुख्यमंत्री रहेंगे। ऐसे में जब भूपेश बघेल के ढाई वर्ष पूर्ण हुए तो टीआर सिंहदेव ने मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी दावेदारी पेश की। इससे रायपुर से लेकर दिल्ली तक कांग्रेस की राजनीति गरमाई। कई दिनों तक टीआर सिंहदेव दिल्ली में कई विधायकों के साथ डेरा भी डाले रहे, लेकिन न बघेल ने मुख्यमंत्री पद छोड़ा और न ही सिंहदेव को कुर्सी मिली। इसके बाद से बघेल और सिंहदेव में तनातनी बढ़ी हुई है।
कांग्रेस की जनघोषणा पत्र समिति के अध्यक्ष थे सिंहदेव
2018 के चुनाव के लिए जनघोषणा पत्र तैयार करने की जिम्मेदारी कांग्रेस ने सिंहदेव को सौंपी थी। सिंहदेव ने इसके लिए पूरे प्रदेश का दौरा किया था। समाज के लगभग हर वर्ग के बीच जाकर उन्होंने बात की। इसके आधार पर 36 बिंदुओं का जनघोषणा पत्र तैयार हुआ। कांग्रेस को प्रदेश में प्रचंड बहुमत (90 में से 69 सीट) का प्रमुख कारण यह जनघोषणा पत्र ही था।