हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दो दिन में छह घंटे मंथन किया। मुख्यमंत्री बघेल को हिमाचल प्रदेश चुनाव के लिए कांग्रेस के केंद्रीय संगठन ने वरिष्ठ पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। मुख्यमंत्री बघेल ने रविवार को करीब तीन घंटे तक पार्टी पदाधिकारियों के साथ बैठकर चुनावी रणनीति बनाई। वहीं, सोमवार सुबह कांग्रेस विधायकों के साथ चर्चा की।
मुख्यमंत्री बघेल ने पार्टी पदाधिकारियों से कहा कि बूथ मजबूत करें, तभी सरकार बन सकती है। हिमाचल प्रदेश में भाजपा की सरकार है। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन के बाद कांग्रेस पहली बार चुनाव मैदान में जा रही है। ऐसे में कांग्रेस के लिए चुनाव काफी अहम माना जा रहा है। देश में कांग्रेस की सबसे मजबूत सरकार छत्तीसगढ़ में है। यही कारण है कि मुख्यमंत्री बघेल को यहां की जिम्मेदारी दी गई है। मुख्यमंत्री बघेल के साथ राज्यसभा सदस्य राजीव शुक्ला और राजस्थान के मंत्री सचिन पायलट भी मौजूद थे।
कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री बघेल ने स्थानीय मुद्दों को चुनाव अभियान का हिस्सा बनाने का निर्देश दिया। भाजपा सरकार में हुए भ्रष्टाचार, विधायकों की सक्रियता को लेकर घेरने का फार्मूला निकला गया है। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस नेता विधानसभा में पदयात्रा करके जनता तक पहुंच रहे हैं। इसके साथ ही इंटरनेट मीडिया को भी हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की सीख दी गई। युवाओं और महिलाओं की टिकट में भागीदारी बढ़ाने पर भी विचार किया गया।
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में 15 साल सरकार से बाहर रहने के बाद पार्टी ने बूथ को मजबूत किया। इसका परिणाम यह रहा कि राज्य गठन के बाद सबसे बड़ी जीत मिली। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के 68 विधायक चुने गए थे। बाद में हुए चार उपचुनाव में कांग्रेस की जीत हुई, जिसके बाद विधायकों का आंकड़ा 71 पहुंच गया। कांग्रेस विधायक रहे दीपक बैज सांसद चुने गए, जिसके बाद चित्रकोट विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी की जीत हुई थी।