कोंटा। बस्तर संभाग में 12 विधानसभा सीटें है। जिन्हें छत्तीसगढ़ के सत्ता की कुंजी भी कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि बस्तर की सीटों से होकर छतीसगढ़ के सिंहासन का रास्ता गुजरता है। इन्हीं 12 सीटों में से एक है कोंटा विधानसभा की सीट। जिसमें कांग्रेस पार्टी का कब्जा बीते 25 सालों से है। वर्तमान में प्रदेश सरकार में आबकारी मंत्री कवासी लखमा कोंटा से विधायक है।
कोंटा विधानसभा का कवरेज करने के दौरान हमारी टीम पोलावरम डेम के आसपास के गांवों में पहुंची। यहां लोग दहशत में जी रहे हैं। इसका कारण जानने के लिए जब हमने लोगों से बात की तो उन्होंने बताया कि आंध्रप्रदेश के ईस्ट गोदावरी जिले के पोलावरम में लिफ्ट इरिगेशन परियोजना तैयार हो रही है। पोलावरम बांध में पानी रोकने से इस क्षेत्र के लगभग 9 गांव आ रहे हैं। जिनके मकान, जमीन खेत सब डूब जाएंगे। छत्तीसगढ़ सरकार ने इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की है। सरकार की लड़ाई जारी है। लेकिन इन सबके बीच यहां रहने वाले लोग दहशत में जीने को मजबूर है।
सुकमा जिले की एकमात्र सीट है कोंटा
सुकमा जिले की एक मात्र यह सीट है जो कि ओडिशा, तेलंगाना और आंध्रप्रदेश के राज्यों के साथ सीमा साझा करती है। ओडिशा और तेलंगाना और आंधप्रदेश की सरहद पर बसा सुकमा जिला दन्तेवाड़ा से अलग होकर साल 2015 में अस्तित्व में आया था। इस दौरान छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार थी। लेकिन विधायक कांग्रेस पार्टी के थे। पांच विधानसभा चुनावों में लगातार कांग्रेस ने ही जीत दर्ज की है। सबसे पहले विधायक कांग्रेस के धनसाय डेरा थे। इसके बाद अभी वर्तमान में आबकारी मंत्री कवासी लखमा कवासी लखमा ही इस विधानसभा से लगातार विजयी रहे हैं।
कोंटा विधानसभा का इतिहास
ऐसी मान्यता है कि रामायण काल में भगवान श्री राम अपने वनवास के दौरान इस क्षेत्र से गुजरे थे। इसके जीवित प्रमाण के रूप में इस भूमि में बहती शबरी नदी है। प्राचीन काल से दंडकारण्य के रूप में जानी जाने वाली भूमि जनजातीय समुदायों के लिए एक निवास स्थान है। सुकमा जिले के नाम के पीछे की कहानी यहां के जमींदारों से जुड़ी हुई है। जो पूर्ववर्ती राजस्थान से आए थे। राजाओं के अत्याचार से बचने के लिए आए जमीदारों को यहां सुकून मिला। इसलिए उन्होंने इस स्थान का नाम सुकमा रख दिया। यह भी माना जाता है कि ग्राम रामाराम में स्थित चितपिटिन माता के प्रसिद्ध मंदिर के देवता को भी जमींदार अपने साथ लेकर आए थे और मंदिर का निर्माण कराया था।
दोबारा मंत्री लखमा पर ही भरोसा !
2023 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी फिर से कवासी लखमा पर ही भरोसा करते हुए टिकट देगी। वहीं भाजपा से सोयम मुक्का, हूंगा राम मरकाम, धनीराम बारसे, दीपिका सोरी एवं संजय सोरी दावेदार है। जो भाजपा आलाकमान के लिए चिंता का विषय है। इतने दावेदारों में एक को ही टिकट मिलना है। ऐसे में गुटबाजी को संभालना भाजपा के सामने परेशानी का सबब बन सकता है। वहीं सीपीआई से मनीष कुंजाम एवं रामा सोढ़ी भी दावेदार है। कवासी लखमा की जमीनी पकड़ काफी मजबूत है। कवासी लखमा की लोकप्रियता और कार्यशैली का कोंटा विधानसभा में अन्य पार्टियों ने अब तक कोई तोड़ नहीं निकाल पाया है.
फैक्ट फाइल-
सुकमा जिले में 385 गांव
अनुसुचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित
कोंटा विधानसभा में 155324 मतदाता
महिला मतदाता 82125
पुरूष 73194 एवं 2 थर्ड जेंडर मतदाता
2003 से अब तक कौन जीता कौन हारा
-2003 में, कोंटा विधान सभा क्षेत्र में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार कवासी लखमा जीते और इस सीट से विधायक बने। कवासी लखमा ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार मनीष कुंजाम को हराया था।
-2008 में, कोंटा विधान सभा क्षेत्र में कवासी लखमा जीते और इस सीट से विधायक बने। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार पदम नंदा को 192 वोटों से हराया।
-2013 में, कोंटा विधान सभा क्षेत्र में फिर से कवासी लखमा जीते उन्होंने भाजपा के धनी राम बारसे को 5786 मतों से हराया।
-2018 में, कोंटा विधान सभा क्षेत्र में कवासी लखमा ने ही जीत दर्ज करते हुए भाजपा के धनी राम बारसे को 6709 मतों से हराया।
रिपोर्ट देखकर जाने इस बार कौन जीत रहा यहां
TV 24 के संवाददाता धीरेंद्र तिवारी ने अलग-अलग गांवों में जाकर लोगों से बात की है। वीडियो का लिंक समाचार के अंत में है। वीडियों में स्थानीय लोगों की समस्याओं के साथ मंत्री कवासी लखमा और बीजेपी का पक्ष भी है। देखिए पूरी बातचीत……
https://www.youtube.com/watch?v=gQ7VTHWvFno
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