प्रदेश में नए शिक्षा सत्र की शुरुआत हो गई है, वहीं बस्तर में 2100 स्थानीय अतिथि शिक्षक अपनी हड़ताल जारी रखे हुए हैं. इन स्थानीय अतिथि शिक्षकों की सेवा सत्र के आखिरी महीनों में ली जाती है, लेकिन स्थानीय अतिथि शिक्षक सत्र के शुरुआत में ही ज्वाइनिंग देने की मांग कर रहे हैं. अब तक शासन या प्रशासन की ओर से बातचीत की कोई पहल नहीं की गई है, जिससे इन अथिति शिक्षकों का सब्र का बांध टूटने लगा है.
स्थानीय अतिथि शिक्षक अपनी 9 सूत्रीय मांगों को लेकर 1 जून से हड़ताल पर हैं. दंतेवाड़ा, नारायणपुर, कांकेर, कोंडागांव जिले में इन शिक्षकों की भर्ती स्थानीय अतिथि शिक्षक के रूप में की गई है, वहीं बस्तर जिले में शिक्षक सेवक, सुकमा और बीजापुर में शिक्षा दूत के रूप में इनकी नियुक्ति हुई. स्थानीय शिक्षकों का कहना है कि नियमित शिक्षकों के स्कूल ज्वाइन करते ही उन्हें नौकरी से बेदखल कर दिया जा रहा है.
हड़ताल में बैठी कई महिलाएं काफी दूर-दूर से जगदलपुर शहर पहुंची है. इनकी उम्मीद यही है कि इस धरना से सरकार उनकी मांगों को सुनेगी और उन्हें दोबारा एक रोजगार मिल पाएगा.
तोकापाल से अपने दूधमुंहे बच्चे को साथ लेकर आई जयंती सेठिया की लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत करते हुए आंखों से आंसू छलक गए. रोते-रोते उसने बताया कि घर में खाने को कुछ नहीं है. बच्चे के लिए कोई उपयोगी सामान मेरे पास नहीं है, पैसे नहीं है. अतिथि शिक्षक के रूप में जब कार्य करती थी, तो उससे मिलने वाले पैसे से घर चल रहा था. लेकिन अब घर चलाने के लिए कोई दूसरा विकल्प नहीं है. उसने सरकार से गुहार लगाई कि जल्द उनकी मांगों को पूरा किया जाए, जिससे दोबारा उनका घर परिवार एक पटरी पर आ सके.