आजकल लोगों की लाइफस्टाइल पहले से बिलकुल बदल चुकी हैं बाहर के खान-पान,घूमना फिरना सब कुछ जिसके कारण लोगों को कई बीमारियों का सामना भी करना पड़ रहा हैं | ऐसे में लोग एलौपैथी के जरिए ज्यादा बीमारी का इलाज करवाते हैं, लेकिन होम्योपैथी को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए ही आज का दिन ख़ास तौर पर मनाया जाता हैं|
आज वर्ल्ड होम्यापैथी डे है| यह दिन पूरी दुनिया में मनाया जाता है यह डे मनाने का खास मकसद है कि होम्यापैथी की चिकित्सा पद्धति को लेकर पूरी दुनिया में जागरूकता फैलाना है और ज्यादा से ज्यादा लोगों को इस चिकित्सा पद्धति के बारे में जागरूक फैलाना है| पूरी दुनिया ने बेहतर इलाज के लिए कई तरह की चिकित्सा पद्धति अपनाई है| जैसे- एलोपैथी, होम्योपैथी, आयुर्वेद, नेचुरोपैथी आदि. आजकल के मॉर्डन लाइफस्टाइल में लोग एलौपैथी के जरिए ज्यादा बीमारी का इलाज करवाते हैं| इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि एलोपैथी को लेकर लोगों के अंदर कहीं न कहीं यह विश्वास ज्यादा है कि इससे बहुत जल्दी ठीक हो जाएंगे|
वर्ल्ड होम्योपैथी डे’ होम्योपैथी के संस्थापक जर्मन के एक फेमस डॉक्टर क्रिश्चियन फ्रेडरिक सैमुअल हैनिमैन ने किया था. इन्हीं की जयंती के अवसर पर होम्योपैथी डे मनाया जाता है| होम्योपैथी के जरिए गंभीर बीमारी का इलाज खोजने का श्रेय इन्हें ही जाता है| जानकारी के लिए बता दें कि हर साल अलग-अलग थीम पर इस सेलिब्रेट किया जाता है, इस साल की थीम ‘होम्योपैथी: पीपल्स च्वॉएस फॉर वेलनेस’ है|
होम्यापैथी से इलाज थोड़ा स्लो होता हैं लेकिन यह किसी बीमारी को ठीक करने के लिए असरदार साबित होता है| होम्योपैथी में बच्चों से जुड़ी बीमारी, महिलाओं से जुड़ी बीमारी, दिमागी बीमारी, जोड़ों के दर्द से संबंधित बीमारी पर अच्छा काम किया है. लिवर, एसिडिटी और इंफेक्शन के इलाज में इसने अच्छा काम किया है, इसके साथ ही कोविड के टाइम में होम्योपैथी ने रामबाण बनकर कुछ लोगों की जान तक बचाई है|