मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से लाए गए दो चीते पार्क एरिया से भटक गए,ओबान के बाद अब आशा भी पार्क एरिया से बाहर निकलकर बफर जोन में घूमती दिखी|
श्योपुर जिले में स्थित कूनो नेशनल पार्क में चीतों की मौज-मस्ती ने वन विभाग के अफसरों की नींद उड़ा रखी है। ओबान चीते के बाद अब मादा चीता आशा भी पार्क एरिया से बाहर आ गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही इसका नाम आशा रखा था। बुधवार को आशा की लोकेशन वीरपुर-विजयपुर इलाके के बफर जोन के जंगल में मिली। आशा पिछले दो से तीन दिन से कूनो के बफर ज़ोन और उसके आसपास के खेतों में है। आशा कभी कुनो के रिजर्व जोन के जंगल में तो कभी बफर जोन में पहुंच जाती है। नदी-नालों के आसपास ही उसका ज्यादातर वक्त गुजर रहा है। वन विभाग की टीम आशा पर भी लगातार नजर बनाए हुए हैं।
दरअसल, रविवार सुबह ओबान चीता कूनो नेशनल पार्क से निकलकर विजयपुर के झाड़ बड़ौदा गांव के पास पहुंच गया था। वह लगातार ग्रामीण क्षेत्रों में दिख रहा है। वन विभाग की टीम चीते को कूनो नेशनल पार्क में लाने के प्रयास कर रही हैं। बुधवार को आशा चीता के भी कूनो नेशनल पार्क के बाहर वाले इलाके में पहुंचने से ग्रामीणों में दहशत बढ़ गई है।देर रात को कूनो नेशनल पार्क से बाहर निकलकर ओबान ने एक गाय का शिकार किया था। उसके बाद उसने किसी अन्य वन्य जीव का शिकार नहीं किया है। बुधवार को ओबान ने चिंकारा का शिकार किया। हालांकि, उससे इंसानों को कोई खतरा नहीं है। अधिकारियों का कहना है कि चीते इंसानी बस्ती से दूर रहना पसंद करते हैं। वह इंसानों पर हमले भी नहीं करते हैं।
चीतों की सुरक्षा करने के लिए कूनो नेशनल पार्क में पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। मंगलवार को पंचकूला से सात महीने की स्पेशल ट्रेनिंग से फीमेल जर्मन शेफर्ड डॉग इलू को पार्क में लाया गया है। जो वन्यजीवों के शिकार करने वाले शिकारियों को पकड़ने में मदद करेगी। 11 माह की इलू डॉग अब कूनो नेशनल पार्क के जंगल में चप्पे-चप्पे पर नजर रखकर शिकारियों को आने से रोकेगी|