सऊदी अरब समेत 23 देशों ने तेल के उत्पादन में कटौती करने का फैसला लिया है। गौरतलब है की सभी देश मिलकर हर रोज 19 करोड़ लीटर क्रूड ऑयल का उत्पादन कम करेंगे। इस वजह से तेल की कीमतों में प्रति बैरल 10 डॉलर तक की बढ़ोतरी हो सकती है। इसका सीधा असर भारत समेत दुनिया भर में पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर पड़ेगा। सीधे शब्दों में कहें तो आने वाले दिनों में पेट्रोल-डीजल और भी महंगा हो सकता है।
सऊदी अरब, ईरान समेत 23 ओपेक+ देशों ने हर रोज साढ़े 11.6 लाख बैरल यानी करीब 19 करोड़ लीटर तेल के उत्पादन में कटौती करने का फैसला लिया है। अकेले सऊदी अरब पिछले साल की तुलना में 5% कम तेल उत्पादन करेगा। इसी तरह इराक ने रोजाना करीब 2 लाख बैरल तेल का उत्पादन कम करने की बात कही है।दरअसल, इंटरनेशनल मार्केट में जब भी तेल की कीमत घटने लगती हैं तो ये देश उत्पादन घटाकर दाम बढ़ाने का काम करते हैं।
अमेरिका में कच्चे तेल का उत्पादन 12.8 मिलियन बैरल प्रति दिन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। इसी समय कोरोना महामारी की वजह से दुनिया भर में तेल की मांग घटी। वहीं, तेल के उत्पादन में कोई कमी नहीं हुई। इसकी वजह से तेल की कीमत में भारी गिरावट आ गई।सऊदी अरब, इराक और अमेरिका के कई तेल ऑपरेटरों ने घाटे को कम करने के लिए अपने कुओं को बंद कर दिया। तेल के उत्पादन में हुई इस कटौती के बाद एक बार फिर से तेल की कीमत बढ़ गई।
अप्रैल से दिसंबर 2022 के बीच भारत ने कुल 1.27 अरब बैरल तेल खरीदा था। इसमें से करीब 19% तेल भारत ने रूस से खरीदा था। इन 9 महीनों में भारत ने तेल आयात करने में सऊदी अरब और इराक से ज्यादा रूस से तेल खरीदा है। इसकी वजह से भारत को प्रति बैरल 2 डॉलर तक की बचत हुई है।भारत सरकार के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन का मानना है कि एक बैरल तेल की कीमत में 10 डॉलर की वृद्धि का मतलब है कि देश की GDP ग्रोथ 0.2%-0.3% कम हो जाती है। वहीं, जियोजित फाइनेंशियल सर्विस से जुड़े डॉक्टर विजय कुमार का कहना है कि एक बैरल कच्चे तेल की कीमतों में 10 डॉलर बढ़ने से देश की महंगाई दर 0.1% तक बढ़ जाती है।