छत्तीसगढ़….
राज्य में मानसिक समस्या से पीड़ित वयस्कों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, लेकिन स्वास्थ्य केंद्रों में दवाइयां ही उपलब्ध नहीं है। वहीं चिकित्सकों को प्रशिक्षण के बाद भी इलाज की सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार राज्य में हर पांचवां वयस्क व्यक्ति किसी न किसी तरह की मानसिक चुनौती का सामना कर रहा है। समस्या की गंभीरता के कारण केंद्र सरकार के निर्देशन में राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम का संचालन भी हो रहा है। इसके तहत प्रत्येक स्वास्थ्य केंद्रों के पास सालाना 10 से 15 लाख तक का बजट तो उपलब्ध है पर बीते तीन साल में एक बार भी दवाओं की आपूर्ति नहीं की गई है। यही वजह है कि मानसिक समस्या की शिकायत लेकर सरकारी अस्पतालों में पहुंचने वाले मरीजों को उपचार नहीं मिल पा रहा है। स्वास्थ्य विभाग ऐसे मरीजों की काउंसिलिंग का दावा करता है पर विभाग के पास मरीजों का पूरा आंकड़ा ही नहीं है। प्रदेश की यह लचर व्यवस्था इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम को मुंह चिढ़ा रही है।