गुरुवार को सावन अमावस्या पर छत्तीसगढ़ का पारंपरिक पर्व हरेली मनाई जाएगी। ग्रामीण इलाकों में किसान अपने हल और कृषि औजारों की पूजा करेंगे। बैलों की जोड़ी का सम्मान करते हुए उन्हें छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का भोग अर्पित करेंगे। साथ ही प्रकृति का आभार व्यक्त करेंगे।
हरेली पर्व पर प्रकृति पूजा के साथ ही पर्व, त्यौहारों का शुभारंभ होगा। बारिश के मौसम में कीटाणुजनित बीमारियों का प्रकोप बढ़ने की आशंका रहती है। इससे बचने के लिए घर के प्रवेश द्वार पर नीम की टहनी लगाने की परंपरा निभाई जाती है। नीम की पत्तियों से कीटाणुओं का नाश होता है इसलिए हर द्वार पर नीम की टहनी लगाई जाती है।
प्रकृति पूजा के साथ ही शुरू होंगे त्यौहार
सावन महीने का पहला पर्व हरेली अमावस्या…. गांव-गांव में किसान, धरती माता का आभार व्यक्त करते हुए हल, रापा, कुदाली, धमेला सहित खेती में उपयोग होने वाले औजारों और बैलों की पूजा-अर्चना करेंगे।