छत्तीगसढ़ विधानसभा के मानसून सत्र के पांचवें दिन जांजगीर चांपा में डीएमएफ में अनियमितता का मामला सदन में उठा। बीजेपी विधायक सौरभ सिंह, नारायण चंदेल और शिवरतन शर्मा ने यह मुद्दा सदन में उठाया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बोले, कहीं भी गलत हुआ होगा तो अधिकारियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी, उन्हें छोड़ने का काम हम नहीं करेंगे।
सौरभ सिंह ने कहा, आठ करोड़ की राशि का भुगतान सिंगल कोटेशन के आधार पर कर दिया गया। सप्लायर ने मशीनों की सप्लाई भी कर दी। केंद्र का नियम है कि जेम पोर्टल से ही खरीदी होगी। जबकि नियमों को दरकिनार कर दिया गया। नियम कहता है कि शासी समिति की सिफारिश के बगैर खरीदी नहीं हो सकती। मगर बगैर शासी परिषद की सिफारिश के खरीदी की गई। 2018-19 के बाद अब तक आडिट भी नहीं किया गया है। तीन वित्तीय वर्ष में स्वीकृत कार्यों में अधिकांश पूर्ण नहीं हुए हैं। दो वित्तीय वर्ष में केवल प्रशिक्षण में ही 23 करोड़ रुपए खर्च किए गए। कागजों पर यह राशि खर्च कर दी गई है। रकम की बंदरबांट हुई है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा- जांजगीर जिले में प्रतिवर्ष सौ करोड़ से अधिक राशि डीएमएफ से प्राप्त होती है। शासी परिषद के अनुमोदन से राशि खर्च की जाती है। पचास फीसदी राशि खर्च करने की बात सही नहीं है। महज 28 फीसदी राशि खर्च हुई है। कलेक्टर के तबादले के बाद 30 करोड़ रुपये की खरीदी किए जाने की बात सही नहीं है। केवल दस करोड़ रुपए की खरीदी के आदेश जारी किए गए। 21 करोड़ रुपए के काम को निरस्त किया गया है। शासी परिषद की बैठक में इन कामों का अनुमोदन किया जाएगा। 28 जून 2022 को बीज निगम को प्रदायगी आदेश जारी किया गया था। मिनी राइस मशीन समेत अन्य मशीन की उपलब्धता की वजह से मशीनों की सप्लाई हुई। पिछले वर्ष की ब्याज राशि से किसी भी तरह के काम का अनुमोदन नहीं किया गया है। पिछले तीन वित्तीय वर्ष में 1833 कार्यों की स्वीकृति हुई है जिसमें से 1200 से ज्यादा कार्य हो चुके हैं। छह सौ से ज़्यादा कार्य प्रगति में हैं।
सौरभ सिंह ने कहा कि पुराने कलेक्टर के तबादले और नए कलेक्टर के आने के बीच 15 करोड़ रुपए के कार्यों की स्वीकृति की बात मुख्यमंत्री ने कही है। यह भी माना कि 21 करोड़ के काम निरस्त किए गए। क्या ये सही है कि कलेक्टर के तबादले के बाद इतनी राशि के काम स्वीकृत करके जाएगा? जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा, जब तक कलेक्टर रिलिव नहीं हुआ है वह पद पर है।
सौरभ सिंह ने कहा कि दस फ़ीसदी से ज़्यादा राशि कलेक्टर खर्च नहीं कर सकता। कलेक्टर ने बगैर शासी परिषद के तीस करोड़ की राशि स्वीकृत कर दी। क्या यह नियम विरुद्ध नहीं है? मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि 174 करोड़ रुपए में से 28 करोड़ रुपए के काम स्वीकृत हुए थे। यह दस फीसदी से ज्यादा नहीं है। यदि दस फीसदी से ज्यादा है भी तो उसे कलेक्टर ने निरस्त कर दिया।