कोरोना वायरस या अन्य बीमारियों को लेकर प्रदेश में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की भूमिका बड़ी होने वाली है। एम्स की नवा रायपुर में बनने वाली नई यूनिट में प्रदेश की पहली बीएसएल थ्री (बायो सेफ्टी लेवल थ्री) लैब का निर्माण किया जाएगा। इस लैब के तैयार हो जाने के बाद कोरोना के अलावा टीबी, जापानी इंसेफेलाइटिस, चिकनगुनिया, कैंसर, स्वाइन फ्लू समेत अन्य बीमारियों की जांच और उनके वायरस के बदलते हुए स्वरूप की पहचान के लिए शोध किया जा सकेगा।
फिलहाल स्टेट लेबल की वायरालाजिकल लैब एम्स में संचालित है। कुछ दिनों पहले ही इंडियन काउंसिल फार मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) से मंजूरी मिलने के बाद जीनोम सिक्वेसिंग की जांच शुरू की गई है। कुछ दिनों पहले आइसीएमआर की टीम एम्स आई थी। राज्य सरकार की तरफ से नई यूनिट बनाने के लिए मिली जमीन को देखने के लिए टीम नवा रायपुर भी गई थी।
टीम ने वहां पर बीएसएल थ्री लैब के लिए जगह चिह्नांकित की है। आइसीएमओ की टीम के निर्देश पर एम्स ने नई लैब के लिए पूरा मास्टर प्लान तैयार कर लिया है। विशेषज्ञों की मानें तो एडवांस लेवल की बीएसएल थ्री लैब बनने के बाद कोरोना सहित अन्य बीमारियों की जांच में तेजी आएगी। साथ ही विशेषज्ञ बीमारियों पर शोध भी कर सकेंगे
एम्स रायपुर में मरीजों की संख्या में जैसे-जैसे बढ़ोतरी हो रही है, वैसे-वैसे नई-नई टेक्नोलाजी से इलाज का विस्तार भी किया जा रहा है। एम्स में छत्तीसगढ़ ही नहीं, महाराष्ट्र, ओडिशा, झारखंड व मध्य प्रदेश के लोग भी इलाज कराने के लिए आते हैं। स्वास्थ्य और शैक्षणिक सुविधाओं के विस्तार के लिए नवा रायपुर में एम्स यूनिट-दो बनाया जाना प्रस्तावित है, जिसके लिए राज्य शासन ने जमीन दी है और केंद्र सरकार से राशि मिल चुकी है।
बीएसएल थ्री लैब में नहीं रहता है संक्रमण का खतरा
नवा रायपुर में बनने वाली बीएसएल थ्री लैब पूरी तरह से एडवांस होगी। लैब में संक्रमण का खतरा नहीं होगा, क्योंकि इसमें हवा फिल्टर होकर अंदर आएगी और फिल्टर होकर ही बाहर निकलेगी। इससे हवाएं एक-दूसरे के संपर्क में नहीं आएंगी और संक्रमण का खतरा नहीं रहेगा। लैब में हर जांच के लिए पूरी तरह से एयर प्रूफ अलग-अलग क्यूब बनाए जाएंगे, जिनके माध्यम से लैब में जांच होती है। विशेष पीपीई किट, ग्लब्स, फेस मास्क पहनकर ही लैब में जांच की जाएगी। लैब के अंदर प्रयोग होने वाला पानी भी विसंक्रमित किया जाएगा।