मध्यप्रदेश में लगातार गरज-चमक के साथ बारिश हो रही है। कई जगह बिजली गिरने की घटनाएं भी हो रही हैं। 37 दिन में ही 90 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। इसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग की आपदा प्रबंधन शाखा ने आकाशीय बिजली से बचने के लिए एडवाइजरी जारी की है। जानिए, बारिश के मौसम में क्या है खतरा आकाशीय बिजली साल के किसी भी समय गिर सकती है, लेकिन जून-जुलाई में आमतौर पर ऐसी घटनाएं सबसे अधिक होती हैं। दोपहर और शाम 6 बजे के बीच आकाशीय बिजली की घटनाएं सर्वाधिक देखी गई हैं। रबर सोल के जूते या टायर से बचाव नहीं हो सकता। तूफान आने के पहले या बाद में भी ऐसी घटना हो सकती है।
आकाशीय बिजली कैसे पहुंचा सकती है नुकसान?
आकाशीय बिजली के कारण अलग-अलग तरीके से नुकसान हो सकता है…
- डायरेक्ट स्ट्राइक: आकाशीय बिजली की डायरेक्ट स्ट्राइक यानी गाज किसी व्यक्ति को सीधे स्ट्राइक कर सकती है। यह स्थिति घातक होती है।
- संपर्क चोट: यह तब होता है, जब बिजली किसी ऑब्जेक्ट से टकराती है, जिसे व्यक्ति टच कर रहा होता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो सकता है।
- साइड फ्लैशः यह तब होता है, जब बिजली छिटक जाती है या किसी ऑब्जेक्ट से टकरा जाती है। जैसे कि किसी व्यक्ति पर पेड़, खंभा आदि गिर जाए।
- ग्राउंड करंट: यह तब होता है, जब बिजली पीड़ित के पास जमीन से टकराती है। ग्राउंड करंट जमीन से होकर व्यक्ति को स्ट्राइक करता है।
- स्ट्रीमर: इसमें जब बिजली या वज्रपात हवा को चार्ज कर देता है, तो ऊर्जा प्रभाव या स्ट्रीमर जमीन के पास की वस्तुओं से ऊपर की ओर आ सकते हैं। कभी-कभी ये स्ट्रीमर लोगों के जरिए से ऊपर की ओर जाते हैं, जिससे पीड़ितों को नुकसान होता है।
- धमाके से चोटः इसमें बिजली के विस्फोट प्रभाव के कारण व्यक्ति उस स्थान से दूर तक फिंका सकता है। इस कारण उसे गहरी चोट पहुंच सकती है।
इस बात का ध्यान रखें
यदि आप ऊंचाई वाले खुले स्थान में घिर गए हैं, तो निचले स्थल की तरफ चले जाना चाहिए। यदि आपको बिजली चमकने के 10 सेकंड के बाद गर्जन सुनाई देती है, तो इसका मतलब है कि वो आपसे 3 किमी दूर है। तत्काल ही सुरक्षित जगह ढूंढें। गर्जन सुनने के बाद 30 मिनट तक सुरक्षित स्थल पर रहें। यदि समूह में हैं, तो अलग-अलग खड़े हो जाएं।
स्पेसिफिक एक्शन प्लान बनाने के निर्देश
सरकारी अस्पतालों में आकाशीय बिजली, तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित लोगों के लिए आपातकालीन सेवा का स्पेसिफिक एक्शन प्लान बनाने के निर्देश दिए हैं। प्राप्त संख्या में मेडिकल स्टाफ और सुविधाएं सुनिश्चित करने की पूर्व व्यवस्था कर ली जाए। जीवन रक्षक दवाइयों की उपलब्धता समस्त सरकारी अस्पतालों, ग्रामीण क्षेत्रों में डिपो होल्डर आशा कार्यकर्ताओं के पास सुनिश्चित की जाए। बहु-उद्देशीय कार्यकर्ताओं आशा कार्यकर्ताओं और आशा पर्यवेक्षक को स्थानीय स्तर पर आपात सेवा स्थापित करने के निर्देश दिए जाएं।