राज्य में स्वाइन फ्लू के मामले थम नहीं रहे हैं। शनिवार को राजधानी में 14 समेत राज्य में 16 मरीज मिले। 13 जुलाई से अब तक 161 मरीजों की पहचान की जा चुकी है। इनमें से 86 मरीजों का अस्पताल में इलाज जारी है।
राज्य महामारी नियंत्रण संचालक डा. सुभाष मिश्रा ने स्वाइन फ्लू के कारणों व लक्षणों के बारे में बताया कि स्वाइन फ्लू एच-1 एन-1 इन्फ्लुएंजा ‘ए” के कारण होता है। यह वायरस वायु कण व संक्रमित वस्तुओं को छूने से फैलता है। इसकी संक्रमण अवधि सात दिनों की होती है। बरसात के मौसम में बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और बच्चों में संक्रमण तीव्र गति से प्रभावी होने का अधिक खतरा रहता है।
विशेष रूप से हृदय रोग, श्वसन संबंधी रोग, लीवर रोग, किडनी रोग, डायबिटीज, एचआइवी और कैंसर से पीड़ित या ऐसे मरीज, जो स्टेराइड की दवा का सेवन लंबे समय से कर रहे हों, उन पर अधिक खतरा रहता है। तेज बुखार के साथ खांसी, नाक बहना, गले में खराश, सिर दर्द, बदन दर्द, थकावट, उल्टी, दस्त, छाती में दर्द, रक्तचाप में गिरावट, खून के साथ बलगम आना व नाखूनों का नीला पड़ना आदि स्वाइन फ्लू के लक्षण हो सकते हैं।
डा. सुभाष ने कहा कि प्रदेश के सभी मेडिकल कालेजों में स्वाइन फ्लू की जांच की सुविधा है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक
स्वास्थ्य केंद्रों, सिविल अस्पतालों, जिला चिकित्सालयों और मेडिकल कालेज अस्पतालों में इसका निश्शुल्क इलाज कराया जा सकता है। जिस प्रकार कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीन उपलब्ध है, वैसे ही स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए इन्फ्लूंजा वैक्सीन लगाई जाती है। इस वैक्सीन से स्वाइन फ्लू की वजह से होने वाली गंभीर समस्याओं से बचा जा सकता है।