स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में राजग उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने भारत गणराज्य की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति निर्वाचित होने का इतिहास रच दिया है। राष्ट्रपति चुनाव में मुर्मू ने संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को बड़े अंतर से हराया। अंतिम आंकड़ों से यह भी स्पष्ट हो गया कि विपक्षी खेमे के करीब 17 सांसदों के अलावा बड़ी संख्या में विधायकों ने भी राजग प्रत्याशी के पक्ष में क्रास वोटिग की। राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को कांग्रेस के दो विधायकों ने वोट डाला है। उन्हें छत्तीसगढ़ से कुल 21 वोट मिले हैं। इनमें भाजपा के 14, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के तीन, बसपा के दो वोट के अतिरिक्त दो वोट मिले हैं।
छत्तीसगढ़ में कुल 90 विधायक हैं। इसमें कांग्रेस के 71 विधायक हैं, जबकि भाजपा के 14 विधायक हैं। छत्तीसगढ़ में जोगी कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी ने राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन किया था। बतादें कि छत्तीसगढ़ विधानसभा में जोगी कांग्रेस के तीन और बहुजन समाज पार्टी के दो विधायक हैं। भाजपा के 14 विधायकों के साथ जोगी कांग्रेस के तीन और बसपा के दो विधायकों को मिलाकर कुल 19 वोट हुए थे।
राष्ट्रपति चुनाव के फार्मुले के मुताबिक यहां एक विधायक के वोट का मूल्य 129 होता है। कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को छत्तीसगढ़ से 9 हजार 159 वोट मिलने चाहिए थे। लेकिन यशवंत सिन्हा को 8 हजार 901 वोट यानी केवल 69 विधायकों का समर्थन मिला। वहीं द्रोपदी मुर्मू को केवल 2 हजार 451 वोट मिलना था। लेकिन मुर्मू को 2 हजार 709 वोट यानी 21 विधायकाें का समर्थन मिला। क्रास वोटिंग की बदौलत द्रोपदी मुर्मू को विपक्ष के सभी 19 विधायकों के अलावा सत्ताधारी कांग्रेस के भी दो विधायकों का वोट मिल गया है।
सांसदों के 540 वोट मुर्मू और 208 वोट सिन्हा को मिले
पहले राउंड में सांसदों के मतों की गिनती हुई। इसमें 748 सांसदों के वोट वैध पाए गए, जिसमें 540 वोट मुर्मू को मिले। वहीं यशवंत सिन्हा को केवल 208 सांसदों के ही वोट मिले। आश्चर्य की बात यह रही कि 15 सांसदों के मत अवैध पाए गए। इतनी संख्या में सांसदों के वोट का अवैध पाया जाना हतप्रभ करने वाली बात है। आठ सांसदों ने वोट नहीं डाला था। निर्वाचन अधिकारी पीसी मोदी के अनुसार सांसदों के कुल मत मूल्य का 72.19 प्रतिशत वोट मुर्मू को और 27.81 प्रतिशत वोट सिन्हा को मिले।