धमतरी : बच्चो को देश का भविष्य कहा जाता है, जो बडे होकर देश के विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है | वही जन्म के समय कई बच्चे या तो बेहद कमजोर होते है या फिर उनमें कई तरह की कमियां होती है | ऐसे बच्चो के बचने की उम्मीद काफी कम रहती है, लेकिन धमतरी जिला अस्पताल के एसएनसीयू में तैनात डॉक्टरो की लगन और अथक परिश्रम के बदौलत अब तक हजारो बच्चो को यंहा जीवनदान मिल चुकी है | बीते 9 सालो में 5 हजार 237 बच्चो को सुरक्षित रिकवर किया गया है, आज बाल दिवस पर इन सभी मासूम बच्चो के चेहरो में मुस्कान देखने को मिल रही है, बता दे कि धमतरी के जिला अस्पताल का एसएनसीयू शिशुओं को बचाने में प्रदेश में बीते तीन सालो से नंबर-1 स्थान पर है |
दरअसल धमतरी जिला अस्पताल में एसएनसीयू की स्थापना साल 2013 में हुई थी, और यहां 9 साल में 5 हजार 237 बच्चो का इलाज कर उन्हें स्वस्थ किया गया | यहाँ कई ऐसे शिशु आए जिनके बचने की उम्मीद परिजन छोड़ चुके थे, लेकिन उन्हें 24 घंटे निगरानी में रखकर स्वस्थ किया गया है | बता दे कि धमतरी के अलावा गरियाबंद, कांकेर, बालोद, कोंडागांव के मरीज भी यही पर निर्भर हैं, एसएनसीयू वार्ड में शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. अखिलेश देवांगन सहित 2 मेडिकल ऑफिसर, 11 स्टॉफ नर्स व वार्ड इंचार्ज तैनात है जों 3 शिफ्ट में ड्यूटी करते हैं | डॉक्टर की माने तो यहां ऐसे बच्चे भी भर्ती हुए जिनका वजन जन्म के समय सिर्फ 7 से 8 सौ ग्राम था, ऐसे बच्चों को भी स्टाफ की टीम 24 घंटे निगरानी में रखकर जान बचाई है |
जंहा बच्चों का वजन सामान्य स्तर पर लाने उन्हें रेडियंट बेबी वॉर्मर में रखा जाता है….और मां के शरीर के टेम्प्रेचर में रखकर बच्चों का इलाज किया जाता है… जरूरत पर नाक से पाइप के जरिए ऑक्सीजन दी जाती है….वही डॉक्टर से एक वाक्या बताया की जन्म के बाद एक बच्चे के सिर पस भर गया था….जिसके बच्चे की उम्मीद नही के बराबर था….लेकिन एक सप्ताह के अथक परिश्रम के चलते बच्चे की जान बच गई |
गौरतलब है कि एसएनसीयू वार्ड में डॉक्टर के बाद सबसे बडी भूमिका स्टाप नर्सो की होती है, जो 24 घंटे नवजात बच्चो को अपना बच्चा समझकर पूरी लगन के साथ देखभाल करते है, बच्चे को किस समय क्या दवाई देना है, कब दूध पिलाना जैसे सभी कार्यो के यहां पर तैनात नर्सो की जिम्मेदारी होती है | नर्सो की माने तो यंहा पर काफी सावधानी पूर्वक काम करना पडता है, एक गलती से बच्चे की जान को खतरा हो सकता है | वही नवजात बच्चो के माताओ का कहना है, उम्मीद छोड चुके बच्चो को भी यहां पर जीवनदान मिला है | बहरहाल आज 14 नवंबर बाल दिवस है, और यहाँ पर जीवनदान मिले सभी बच्चो के चेहरो पर मुस्कान डॉक्टरो की अथक लगन और परिश्रम के कारण से आई है |