तख़तपुर जनपद क्षेत्र का एक दिव्यांग बुजुर्ग खातों की पहेली में उलझकर जनपद आफिस और बैंक के चक्कर लगाने को मजबूर हो गया है।दरअसल उसके खाते में आने वाला 7 महीने का पेंशन का पैसा और मनरेगा की राशि छः साल पहले मर चुकी महिला के खाते के जा रहा है। ऐसा क्यों और किस कारण से हो रहा है? इस बात का जवाब न तो बैंक वाले दे पा रहे हैं और न ही जनपद कार्यालय के कर्मचारी।
तख़तपुर : जनपद क्षेत्र के सागर गांव के निवासी 70 वर्षीय बुजुर्ग रमेशर साहू पिता रूपचंद के दोनों हाथों के उंगलियां नही होने के कारण दिव्यांग है। उसको शासन की सामाजिक सहायता योजना के अंतर्गत 500 रुपये मासिक पेंशन मिलता है। जिसे उसके स्टेट बैंक के काठाकोनी शाखा के खाता में आना चाहिए। लेकिन उसे इस पैसे के लिए बैंक और जनपद कार्यालय के बीच भटकना पड़ रहा है। मगर उसे पैसे नही मिल पा रहा है। दरअसल उसके पेंशन का पैसा गिरिजबाई सप्रे नामक एक ऐसी महिला के खाते में जा रहा है ,जो लगभग छः साल पहले मर चुकी है। अब रमेशर के पेंशन का पैसा आखिर छः साल पहले मर चुकी गिरजाबाई सप्रे के खाते में कैसे जा रहा है। इसका जवाब न तो जनपद वाले दे पा रहे हैं और ना ही बैंक वालो को समझ आ रहा है।
बुजुर्ग रमेशर को जनपद वालो ने बताया कि आपका पैसा आधार कार्ड के नंबर के आधार पर ट्रांसफर किया गया है। या हो सकता है कि आपका आधार गिरिजबाई सप्रे के खाते से लिंक हो गया हो । लेकिन जब बैंक में जाकर पता किया तो रमेशर के आधार से केवल एक ही खाता क्रमांक लिंक बताया गया जो कि रमेशर का ही है। जबकि गिरिजबाई का खाता वोटर आईडी कार्ड के द्वारा संचालित होना बताया गया। मतलब यह कि न तो गिरिजबाई के खाता में खुद उसका आधार लिंक है और न ही रमेशर का । अब प्रश्न यही उठता है कि जब जनपद वाले रमेशर के खाते में पैसा पीएफएमएस के जरिये डाल रहे है तो वह छः साल पहले मर चुकी गिरिजाबाई के खाते में कैसे जमा हो जा रहा है।
इस विषय मे जनपद कर्मचारियों ने स्टेटमेंट दिखाकर बताया कि हमारे द्वारा सही ट्रांसफर किया गया है।दिखाये गये स्टेटमेन्ट में रमेशर का ही अकाउंट नंबर और आधार नंबर लिखा है।बैंक वाले भी यह बात मान रहे हैं, कि ट्रांसफर स्टेटमेंट में सब कुछ सही है। अब प्रश्न यही उठता है कि जब सब कुछ सही है तो दिव्यांग बुजुर्ग के पेंशन का पैसा किसी महिला जो छः साल पहले मर गई हो उसके खाते में कैसे जा रहा है।बैंक वालो से पूछने पर वे भी कोई जवाब नही दे पाए।उनका कहना था कि यह कैसे हो रहा है समझ मे नही आ रहा है।कहीं न कहीं कुछ तो गलत हो रहा है या गलत हुआ है जिसके चलते एक 70 वर्षीय दिव्यांग बुजुर्ग को शासन से मिलने वाले पैसे के लिए भटकना पड़ रहा है।
रमेशर ने बताया कि पहले भी ऐसा हो चुका है। लेकिन जनपद वालो ने लिखकर दिया था उसके बाद सब ठीक था । मगर अब सात महीने के पेंशन का 3500 रुपये साथ ही मेरे मनरेगा के पैसा फिर से उसी महिला के खाते में चला गया है। अब जो मर गई है उससे पैसा निकाल कर देने के लिए भी नही कहा जा सकता और ना ही उसके खाते का पैसा कोई और निकाल सकता है।फिर भी जनपद से एक बार फिर बैंक के नाम लेटर जारी किया गया है | जिसमे उल्लेख किया गया है, कि रमेशर के खाता में जाने वाला पैसा गिरिजाबाई के खाते में चला गया है, जिसे रमेशर के खाते में ट्रांसफर किया जाए । साथ मे स्टेटमेंट की कॉपी भी लगाया गया है ।